प्यार का एहसास
दिल लेकर घूमता हूँ हाथों में,
कि कोई मिल जाए अपना सा|
सामने आ जाए मेरे,
जो लगता है सपना सा||
जानता नही, पहचानता नही,
कभी देखा नही, कोई नाम नही|
कोई शक्ल नही, कोई सूरत नही,
बस इतना यकीन है मुझे,
हकीकत है वो कोई मूरत नही||
कौन है जो मुझे इतना सताती है,
सोने नही देती, रातभर जगाती है|
अनजान होकर भी अपनी सी लगती है,
दिनभर सोचता रहता हूँ,
वो कौन हो सकती है||
अब किसी भी काम में,
दिल नही लगता|
हर वक्त खोजता रहता हूँ,
मैं चेहरा उसका||
बस एक मिलने कि आस है,
लगता है वो यहीं कहीं आसपास है|
साथी की नही अब हमसफ़र की तलाश है,
प्यार नही है ये,
बस प्यार का एहसास है||
6 comments:
bahut hi khubsurat poem hai.too good
thanku pari
ye poem nahin mabbo ke dil a haal hai.....dil to kahin aur hai nd mabbo yahan behaal hai....excellent poem bee....roomie to artist hai.....
thnx yaar.......jab aakansha, abhilasha aur prerna saath hoti hai to rachna aur kavita apne aap ban jaati hai
@mabbo
are kya bat ahi mabbo ye aakansha,abhilasha,prerna,rachna and kavita kon hai yaar atleast hume to bta de
@ gomes paresaan mat ho ye sab(aakansha,abhilasha,prerna,rachna and kavita) aaj kal mere saath hai
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