१४ सितम्बर १९५० को मातृभाषा हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा दिया गया ...
कक्षा ११वी मे लिखी अपनी कविता आपके साथ बंटाना चाहता हूँ
कविता का शीर्षक है "हिन्दी से मुलाकात " ...
एक दिन रस्ते मे हिन्दी से हुई मुलाकात
मैंने कहा " हाय !!!"
हिन्दी ठिठकी,
पूंछा- क्या कहा ?
मैंने कहा - हाय....
वह बोली - हाय नहीं कहो बाय बाय...
मैं जा रही हूँ,
यहाँ से विदाई ले जा रही हूँ
मैं सकुचाया और पूंछा -
राष्ट्रभाषा तुम कहाँ जा रही हो |
कहाँ के लिए विदाई ले जा रही हो |
वह बोली -
जैसे बेटी मायेके आती है ,
वैसे हे मैं भी मायके आई थी |
अब यहाँ से विदाई ले के जा रही हूँ |
बेटी तो पराया धन होती है,
विदाई होने पर वह रोटी है |
पर मैं नहीं रोऊँगी,
अब रौओगे तुम -
और रोते ही रह जोओगे |
क्यूंकि कुछ समय बाद -
अंग्रेज नहीं तो क्या हुआ ,
अपने को अंग्रेजी के शासन मे पाओगे |
तुम-
फिर से गुलाम बन जोओगे
तुम-
फिर से गुलाम बन जोओगे
--- जय भारत ,जय हिन्दी ................
5 comments:
hi..Navankur
wel nice attempt i can say!!!!
but hum gulaam kyu ho jayenge???
imp z dat watevr v say dat shld hv d pwr to convince othrs dats it. nthg else
@ silence
thnx fr ur comments
but Let me knw who r u ???
@ above ....
ohkk ohkk got it ..gal .....
thnx fo d comments .... n do keep checkin our blog ... !!!!
thnxxxx [:)]
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